खेती और किसानी को समर्पित मेरा जीवन और मेरे प्रेरक – जगदीश प्रसाद पारीक

परिचय मैं जगदीश प्रसाद पारीक पुत्र स्व. श्री मांगी लाल पारीक राजस्थान राज्य के सीकर जिले की तहसील श्रीमाधोपुर की ग्राम पंचायत अजीतगढ़ का रहने वाला हूँ। मेरा जन्म 29 फरवरी 1948 को मेरे मामा श्री जवाहर मल जी के घर हुआ। मेरे मामाजी उस समय के अच्छे जानकार किसान थे। उनकी पत्नी का देहान्त …

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पशुपालन में सावधानी

किसान परम्परागत खेती के साथ सदियों से पशुपालन भी करता आ रहा है, जिस प्रकार एक चुनरी गोटे के बिना अपूरी रहती है, उसी प्रकार कृषि भी पशुपालन के बिना अधूरी रहती है। किसान गाय, भैंस, बकरी भेड़ पालकर दो-तीन साल बाद जब शादी-विवाह, मात- पेज व अन्य सामाजिफ खर्चे आते है तो ज्यादा पैसों …

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फसल के रोगों के वानस्पतिक उपचार

तंबाकू – तने पर लगनेवाला कीड़ा, पत्ते खाने वाली इल्ली, तुडतुडे, मकडी। उपचार 1 किलो तंबाकू का कचरा, 10 लीटर पानी में उबालें, बाद में इसे तीस लीटर पानी में घोलकर – चिपकने के लिए साबुन का चूरा डालें और कपड़े में छानकर इसका स्पे करें। धतूरा – तने को खोखला करने वाले कीटक, निमेटोड, …

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फसलों को चूहों से, गिलहरियों से, दीमक या अन्य कीड़ों से बचाने के परम्परागत उपाय

मैं महात्मा गाँधी द्वारा बोले गये दो शब्द ‘सत्य और अहिंसा’ से प्रभावित हुआ। सत्य तो प्रायः हंसी मजाक या दोस्तों के साथ हंसी ठिठोली में नहीं बोली जा सकती। लेकिन दूसरे शब्द अहिंसा का मैंने पूरे जीवन भर पालन किया है। मैंने आज तक कोई हिंसा नहीं की। मनुष्य किसी भी जीव-जन्तु, पशु-पक्षी या …

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जैविक खेती के लिए आवश्यक जानकारी

कम्पोस्ट खाद तैयार करने की विधि:- सबसे पहले हम छाया में सात गुणा दस गुणा तीन बराबर दो सौ दस घन फिट का गड्ढा खोदें व उसके चारों तरफ निकाली हुई मिट्टी की डोली बना लें तथा राख लेकर उसमें चारों तरफ छिड़क दें, जिससे दीमक व अन्य किटाणुओं का प्रभाव न पड़े। बाद में …

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अडूसा एवं गिलोय की खेती

अडूसा ज्यादातर पहाड़ों या उनकी तलहटियों में पाया जाता है। इसका रंग हरा व पत्ते आम की तरह लम्बे होते हैं। इसमें तना जमीन के बराबर होकर बहुत सी फुटाने होती हैं। इसके पत्तों का रस बहुत लाभकारी है। इसके रस को शहद के साथ देने से पुरानी से पुरानी खाँसी से निजाद मिलती है। …

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खींफ की खेती

खींफ जंगली पौध है। यह प्रायः गहरे नाले, पहाड़ी या खाली जमीन में वर्षा काल में उगता है तथा कूंचे की तरह फैलता है। इसमें एक-डेढ़ मीटर तक के कुन्दे होते हैं, जिनके बीच में भी फुटान होती है। उपर से बहुत जगह घेरते हैं। बसन्त ऋतु में जाकर हल्के छोटे फूल आते हैं तथा …

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आँवला की खेती

आँवला हर तरह की भूमि में लगाया जाता है। आँवले का रस हमारे शरीर के लिए अमृत है। इसमें विटामिन सी अधिक मात्रा में पाये जाने के कारण यह हमारे व पशुओं के लिए लाभकारी है। यह त्रिदोष (वात, कफ व पित्त) निवारक फल है, भूख बढ़ाने वाला है। इसका सेवन प्रत्येक मौसम में किया …

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पपीता की खेती

पपीता हमारे देश में प्राचीन काल से ही बोया जाता है। इसका पेड़ जल्दी बढ़ने वाला व अन्दर से जालीनुमा होता है। ज्यादा पानी के प्रभाव से गलकर टूट जाता है। इसके पत्ते चारों तरफ एक मीटर का डण्ठल छोड़कर कटे हुए गोलाकर में रहते हैं। इसका फल शुरू में हरा एवं ने पर पीला …

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करौंदा की खेती

फलों में करीदा का उपयोग प्राचीन समय से ही कर रहे हैं। इसका पेड़ होता है, जो बारह से पन्द्रह फिट तक उपर बढ़ता है। इसके पत्ते छोटे व गहरे चिकने होते हैं तथा टहनियों पर कांटे होते हैं। इसके उपर लगाने के चार-पाँच साल बाद फल आता है। फल से पूर्व सफेद रंग के …

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