आलू की खेती

आलू पूर्ण आहार है। इसको सब्जी बनाकर ही नहीं, अनाज की तरह भी खाया जाता है। इसमें पौष्टिक तत्व भरपूर मात्रा में पाये जाते हैं जैसे प्रोटीन, चिकनाई, लोहा, कैल्सियम, विटामिन ए और सी। आलू का मुख्य उद्गम स्थान अमेरिका माना जाता है। संसार के अनेक देशों में इसे पैदा किया जाता है। भारत में मुख्यतः उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, पंजाब, बिहार, हिमाचल में इसकी खेती की जाती है। हमारे देश में इसकी खेती 1700 लाख हैक्टर में की जाती है। इसकी अनेक प्रजातियां होती हैं जो अलग-अलग स्थानों पर बोई जाती है। पहाड़ी क्षेत्र में भी आलू पैदा होता है।

  1. मिट्टी – इसके लिये दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। आलू को अनेक प्रकार की भूमि में पैदा किया जा सकता है। बलुई भूमि इसके लिये विशेष उपयुक्त मानी जाती है।
  2. खेत की तैयारी – पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी करें, फिर देशी हल से उत्तर-दक्षिण व पूरब-पश्चिम दो बार जुताई करें। इसके बाद सड़े हुये गोबर की खाद 100 क्विंटल प्रति हैक्टर के हिसाब से डालकर अच्छी तरह फैला देवें और एक हल की जुताई करें, तथा क्यारियों के लिये लाइन तैयार करें, इस प्रकार भूमि की तैयारी पूर्ण होती है।
  3. बोने का समय – गर्मी की फसल फरवरी व खरीफ की फसल मई-जून में बोई जाती है। अगस्त-सितम्बर में भी आखिरी फसल बोई जाती है।
  4. बुवाई – बुवाई से पूर्व आलू को 6 गुणा 4 की क्यारी बनाकर उसके उपरी सतह की 3-4 इंच मिट्टी अलग हटा देवें तथा उसके अन्दर आलू को रख दें। हटाई हुई मिट्टी को वापस आलू के उपर डाल दें व पानी से भिगो देवें। दो-तीन दिन बाद आलू पर आंखे बन जायेगी। उसके बाद उसे बाहर निकाल कर आंखो को बचाकर उसके टुकड़े करें। दो-तीन के अंतराल पर पानी देवें। इससे आलू में फुटान होगी, आलू का टुकड़ा बाहर नहीं दिखाई दे, आंखे विकसित नहीं होती हैं। एक हैक्टर में 20 से 25 क्विंटल बीज की आवश्यकता होती है।
  5. पानी – वर्षा अधिक होने पर पानी की आवश्यकता कम होती है। कम होने पर पानी की आवश्यकता अधिक नहीं होती है। इसमें 10 से 12 बार तक पानी दिया जाता है। नालियां बनाने पर कम पानी देना पड़ता है।
  6. निराई-गुड़ाई – इसमें निराई-गुड़ाई की अत्यन्त आवश्यकता होती है। इसके साथ इस पर मिट्टी है। इसमें खरपतवार नहीं होनी चाहिए। किम्म पी कोई पौध नहीं होनी चाहिए जिससे इसके फन्द हरे नहीं होते हैं।
  7. खुदाई – आलू की खुदाई पोले पत्ते होने पर ही की जाती है। इसके पत्ते पीले होते ह उपर से काट ले, बाद में 15 दिन बाद तक आलू जमीन में छोड़ दें। खुदाई के की ठण्डी पर रखें 10 से 15 दिन बाद बदलते रहे जिससे वह खराब नहीं होता है।
  8. आयात-निर्यात समय-समय पर आयात-निर्यात भी होता है। भाव स्थिर नही रहता है।

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