कैर की खेती
कैर एक जंगली पेड़ है। यह प्राय: उन स्थानों पर पाया जाता है जहाँ की मिट्टी कठोर हो व जमीन जोत के काम आने काबिल न हो। इसकी पत्तियां बहुत छोटी होती हैं तथा डाली और तने पर उभरता हुआ कवच (छोड़ा) होता है। पश्चिमी राजस्थान में जहाँ सैकड़ों बीघा ज़मीन बंजर पड़ी हुई है …
मूली की खेती
मूली हमारे देश में प्राय: सभी जगह बोई जाती है। इसके लिए खाद वाली बालू मिट्टी अच्छी रहती है। इसकी फसल अगस्त से मार्च तक रहती है। केवल उत्तर भारत में इसकी फसल बारह मास चलती है। इसका जीवन 70 से 75 दिन का होता है। मूली बीज डालने के 45 दिन में तैयार हो …
करेला की खेती
हमारे देश में करेला आदिकाल से चला आ रहा है। पहले किसानों के खेतों के चारों तरफ डोली पर काँटेदार छाड़ियाँ होती थी, जो आवारा पशुओं से खेत की रक्षा के लिए लगाई जाती थी। उसमें यह प्राकृतिक रुप से उगता था। किसान इसकी सब्जी बनाते। यह पकने पर लाल होता था व अपने आप …
पालक की प्राकृतिक खेती
यह हरे पत्तों वाली सब्जी है। इसके पत्ते लम्बे व चौड़े तथा उपर से गोलाकार होते हैं। इसमें भरपूर मात्रा में पौष्टिक तत्व पाये जाते हैं। ये वात, कफ, ज्वर नाशक होता है। पाचन शक्ति को बढ़ाता है तथा खून का शुद्ध करता है। वायु विकारों को दूर करता है। यह सब्जी बनाने या पूड़ी, …
भिंडी की खेती
ग्रीष्मकाल की सब्जियों में भिंडी का मुख्य स्थान है। यह पौष्टिक सब्जी है। इसमें विटामिन ए, सी, पाये जाते हैं। प्रोटीन व चिकनाई ज्यादा होती है। भूमि व जलवायु हर प्रकार की जलवायु में उगाई जा सकती है। लेकिन जिस भूमि में जीवांश अधिक मात्रा में हो, मिट्टी दोमट हो व जल निकासी का साधन …
मिर्च की खेती
इसमें विटामिन सी अधिक होता है। इसके बीजों में 23 प्रतिशत तेल पाया जाता है। मिर्च में कई औषधिय गुण होते हैं। हैजा होने पर हींग, मिर्च व कपूर का सेवन करने का सुझाव दिया जाता है। भूमि तथा जलवायु मिर्च गर्म जलवायु की फसल है। यह देश की विभिन्न प्रकार की मिट्टियों में उगाई …
टमाटर की खेती
टमाटर ऐसी सब्जी है जिसे साल भर लगाया जा सकता है। इनके बिना कोई भी सब्जी स्वादिस्ट नहीं बनती, इसकी मांग बारह महिने रहती है। यह सब्जियों के साथ मिलाने, सूप, सलाद व चटनी इत्यादि के काम आता है। भूमि व जलवायु – इसकी बुवाई के लिये काली दोमट व बालू दोमट दोनों ही प्रकार …
बैंगन की खेती
बैंगन लोकप्रिय सब्जी है। इसमें सभी तत्व पाये जाते हैं। इसकी वर्ष में कई फसलें ली जाती है। गर्मी में इसकी पैदावार ज्यादा होती है। बाजार में मांग भी ज्यादा रहती है। ये दो प्रकार के होते हैं। गोल अण्डाकार व लम्बे, इनका रंग बैंगनिया-नीला चमकदार होता है तथा अन्दर की परत सफेद बीजों से …