महत्वपूर्ण तथ्य
- चिकमंगलूर नाम का अर्थ है ‘छोटी बेटी का शहर’
- यह पश्चिमी घाट में स्थित एक लोकप्रिय पर्वतीय पर्यटन स्थल है
- स्थानीय पहाड़ी श्रृंखला को बाबा बुदनगिरि पर्वत के नाम से जाना जाता है
- बाबा बुदन यमन से कॉफी के सात बीज लाकर भारत में पहली बार कॉफी की खेती शुरू करने के लिए प्रसिद्ध हैं
- मुलयनगिरि और बाबा बुदनगिरि शिखर लगभग 6317 फीट की ऊंचाई के साथ कर्नाटक के सबसे ऊंचे पर्वत शिखर हैं
- भद्रा अभ्यारण्य ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ में शामिल है और यहां 300 से अधिक पक्षी प्रजातियां पाई जाती हैं
- बेलूर और हालेबीडू शहर होयसल शैली के प्राचीन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध हैं
- श्रृंगेरी मठ का निर्माण 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा किया गया था
पश्चिमी घाट की शांत वादियों में बसा चिकमंगलूर एक ऐसा स्थान है जो प्रकृति प्रेमियों और रोमांच के शौकीनों दोनों को एक अद्भुत अनुभव प्रदान करता है। यहां की हरियाली, धुंध से घिरी पहाड़ियां, झरने और ऐतिहासिक विरासत एक ऐसा वातावरण रचते हैं, मानो किसी कवि के स्वप्न लोक में प्रवेश कर लिया हो।
बाबा बुदनगिरि और भारत में कॉफी की शुरुआत
यहां की पहाड़ियों को बाबा बुदनगिरि के नाम से पहचाना जाता है। कहा जाता है कि सदियों पहले एक सूफी संत बाबा बुदन यमन देश से कॉफी के सात बीज अपने साथ लाए और इन्हें यहीं बोया। इसी से भारत में कॉफी की शुरुआत मानी जाती है, जो आज दक्षिण भारत की पहचान बन चुकी है।
रोमांचक ट्रेकिंग: मुलयनगिरि और बाबा बुदनगिरि
चिकमंगलूर की मुलयनगिरि और बाबा बुदनगिरि चोटियां कर्नाटक की सबसे ऊंची पर्वतीय चोटी मानी जाती हैं। लगभग हर सप्ताहांत यहां हजारों ट्रेकिंग प्रेमी प्रकृति की गोद में समय बिताने पहुंचते हैं। बादलों में लिपटी ढलानें, ओस से चमकते पौधे और पक्षियों की मधुर ध्वनि इस यात्रा को यादगार बना देते हैं।
इन पहाड़ियों में आप कैंपिंग का भी आनंद ले सकते हैं। यदि आप अपना टेंट साथ नहीं लाए हैं तो चिकमंगलूर कस्बे से किराए पर भी टेंट उपलब्ध होते हैं।
भद्रा डैम और वन्यजीव अभ्यारण्य
भद्रा नदी के किनारे स्थित भद्रा अभ्यारण्य प्रकृति और वन्यजीवन प्रेमियों के लिए बेहद आकर्षक स्थल है। यह स्थान प्रोजेक्ट टाइगर का हिस्सा है और यहां 120 से अधिक पौधों की प्रजातियां, कई रंगबिरंगी तितलियां और लगभग 300 पक्षियों की दुर्लभ प्रजातियां देखने को मिलती हैं। यहां पाए जाने वाले हॉर्नबिल पक्षी विशेष ध्यान आकर्षित करते हैं।
बेलूर और हालेबीडू की होयसल वास्तुकला
यागाची नदी के तट पर बसे बेलूर और हालेबीडू शहर होयसल काल के प्राचीन शहर हैं। यहां के मंदिर अपनी उत्कृष्ट पत्थर नक्काशी और अद्वितीय वास्तुकला के लिए विख्यात हैं। बेलूर स्थित चेन्नकेशव मंदिर और हालेबीडू के होयसलेश्वर और केदारेश्वर मंदिरों की दीवारों पर उकेरे गए पौराणिक दृश्य उस समय की सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाते हैं।
श्रृंगेरी मठ: आध्यात्मिक शांति का स्थान
तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित श्रृंगेरी मठ दक्षिण भारत की आध्यात्मिक परंपरा का केंद्र है। इसका निर्माण आदि शंकराचार्य ने किया था। मठ के आसपास विद्याशंकर मंदिर, मल्लिकार्जुन मंदिर और पास ही स्थित सिरिमाने जलप्रपात इस क्षेत्र को और भी आकर्षक बनाते हैं।
चिकमंगलूर क्यों विशेष है
- प्रकृति और रोमांच का अद्भुत संगम
- कॉफी संस्कृति की ऐतिहासिक जन्मस्थली
- प्राचीन होयसल शैली के मंदिरों का खजाना
- वन्यजीवों और पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग
चिकमंगलूर उन यात्रियों के लिए आदर्श स्थान है जो शोर से दूर कुछ समय प्रकृति के साथ जीना चाहते हैं। यहां की शांत वादियां मन को स्थिर कर देती हैं और ट्रेकिंग मार्ग शरीर और मन दोनों को ऊर्जा से भर देते हैं।