आँवला की खेती

आँवला हर तरह की भूमि में लगाया जाता है। आँवले का रस हमारे शरीर के लिए अमृत है। इसमें विटामिन सी अधिक मात्रा में पाये जाने के कारण यह हमारे व पशुओं के लिए लाभकारी है। यह त्रिदोष (वात, कफ व पित्त) निवारक फल है, भूख बढ़ाने वाला है। इसका सेवन प्रत्येक मौसम में किया जा सकता है। लेकिन इसका ताजा फल शरद ऋतु में ही मिलता है। फल से मुरब्बा, कैण्डी, आचार के अलावा सौंदर्य प्रसाधनों में काम आता है। आयुर्वेद में इससे विभिन्न प्रकार की औषधि बनाई जाती है। त्रिफला नाम का चूर्ण ऑवला मिलाकर बनाया जाता है, जो कैंज दूर करता है तथा नेत्र रोग व त्वचा की बीमारी में काम आता है, शारीरिक शक्ति को बढ़ाता है। आँवले के बारे में कहावत है – हरड़, भरड़ व ऑवला घी शक्कर में खाय, हाथी दाबे काँख में साठ कोस ले जाय |

  1. ऑवला लगाने की विधि :- इसके लिए डेढ़ फिट गहरा व एक फुट गड्डा बनाया जाता है। उसमें उपर से 6 इंच की मिट्टी अलग रखें व नीचे वाली एक चौड़ा गड्डा बनाया जाता है। उसमें उपर से 6 इंच की मिट्टी अलग रखें व नीचे वाली एक फिट मिट्टी की डोली बनायें। नीचे की मिट्टी के बराबर का गला खाद लेकर उपर वाली मिट्टी जो अलग रखी है, उसमें खाद मिलाकर गड्डे को भर दें तथा पौधा लगाने के लिए कुंडी के बराबर हाथ से खड्डा खोदकर कुंडी फिट कर दें व चारों तरफ से मिट्टी को दबाकर पानी दे दें। पथरीली भूमि में बढ़वार कम होती है, वहाँ चारों तरफ खाई बनाकर खाद और पानी देकर छोड़ दें जिससे बढ़वार बढ़ने लगेगी।
  2. रोगोपचार :- आँवला पेड़ की टहनियों पर गुच्छों में लगता है। जिस समय इसके फूल आते हैं, इसमें एक विशेष प्रकार की खुशबू आती है। यही समय कीड़ों-मकोड़ों का प्रजननकाल होता है। एक मकोड़ी के पीछे सैकड़ों मकोड़े रेल बनाकर डालियों पर दौड़ते हैं। डालियों पर ही ऑवले के फूल आते हैं, जो इनके दौड़ने से आधे फूल गिर जाते हैं जिससे किसान को भारी नुकसान होता है। इसके बचाव के लिए फूल आने से पहले ही तने के चारों तरफ मिट्टी की गोल डोली बनायें व उस पर सरसों का तेल डालें व हल्दी का पिसा हुआ पाउडर डालें। बीच में कीट जाने की जगह नहीं हो तथा मिट्टी की सतह से तने पर चारों तरफ सरसों के तेल में हल्दी मिलाकर तीन फिट तक चारों तरफ लेप कर दें मकोड़े उपर नहीं चढ़ सकेंगे, जिससे टहनियों का फूल सुरक्षित रहेगा। किसान की आय दुगुनि होगी।
  3. तुड़ाई:- प्राय: सर्दी में फरवरी तक ऑवले पक जाते हैं। ऑवले पकने पर किसान टहनियों को लट्ठ मारकर झाड़ते हैं, जिससे टहनियाँ टूट जाती हैं। इसके लिए सही तरीका है – सीढ़ी के सहारे पेड़ पर चढ़कर टहनियों को डंडे की रगड़ से आँवले तोड़ें। टूटा हुआ आँवला कपड़े पर गिरेगा मिट्टी नहीं लगेगी और पेड़ की टहनियाँ नहीं टूटेंगी।
  4. बीज तैयार करना :- पके हुए आँवले का घर में आचार डालें या कैण्डी बनायें तो उसमें से बीज निकालकर राख में मिलाकर सुखा लें। नमी न होने पर बीजों को बन्द बर्तन में डालकर रख दें। आगे बीज खरीदने वालों से या दवाई बनाने वालों से बीज के अच्छे पैसे मिलेंगे।

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